साहनी मार्किट कांड (लल्लन मिश्रा कांड सीरीज )
भौकाली कानपुर (लल्लन मिश्रा काण्ड सिरीज)
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लल्लन मिश्रा को एक शोध में कानपुर के 10 सबसे भौकाली लौंडों में एक पाया गया था । और वो अलग बात है की उस शोध में लल्लन का नाम चुनने वालों को उस दिन दयाराम मिष्ठान भण्डार में दो काला जाम, दूध का कुल्हड़ और दुइ दुइ ठो समोसा के पैसे खुद नहीं देने पड़े थे । लल्लन ने डी सी ला से एल एल बी पूरा किया, रविन्द्र नाथ दुबे एडवोकेट के यहाँ सहायक भी रहे और बाद में एक अखबार के दफ्तर में सेल्स की नौकरी पकड़ लिहिन । इन्ही के चक्कर में रज्जन पण्डे जैसे लड़कों (जो बी एस सी के बाद रेलवे में क्लर्क है) के बाप को अपने लौंडो पे नाज़ है । लल्लन की शख्सियत ही कुछ इतनी कुकर्म कांडी है की न चाहते हुए भी इनके कांडों की चर्चा पूरे कानपूर में फ़ैल जाती है । और आज इसी कड़ी में एक और कांड प्रस्तुत है, नाम है.......
साहनी मार्किट काण्ड
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तो भइय्या लल्लन की गलती सिर्फ इत्ती रही की सुनीता तिवारी (गंगापार वाली भौजी) बहुत ही जबराट (खूबसूरत) रही, और शुक्लागंज और कानपुर को मिला के कुछ सत्तर-पचहत्तर लड़के करीब चार साल से उसके चक्कर में पड़े रहें । सुनीता तिवारी को शुक्लागंज की भाग्यश्री भी कहा जाता था, काहे की कुछ लड़को ने उसे छत पे भाग्यश्री वाला डांस (कमर में दुपट्टा बाँध के) करते हुए देख लिया था ।
हमाये कानपुर में सुनीता जैसी लड़कियों के बारे में कई तरह की कहानियाँ बन जाती हैं, जितने मुह उतनी अफवाहें । अब सुनीता तिवारो के चाल चलन के बारे में जितनी मनोहर कथाएं चल निकलीं थीं उतनी तो मनोहर कहानियों वाली किताब (20 रूपय वाली) में भी नहीं छपतीं । खुदा गवाह है की मिश्रा कालोनी के दो-तीन लड़के जो सुनीता तिवारी के बारे में बिना छुट्टी किये सबसे जादा चटपटी और मनोरम ख़बरें लाते थे, उनको आज तक साहनी मार्किट में पेटीज और छोटी डीयू के पैसे नहीं देने पड़े ।
हमाये कानपुर में सुनीता जैसी लड़कियों के बारे में कई तरह की कहानियाँ बन जाती हैं, जितने मुह उतनी अफवाहें । अब सुनीता तिवारो के चाल चलन के बारे में जितनी मनोहर कथाएं चल निकलीं थीं उतनी तो मनोहर कहानियों वाली किताब (20 रूपय वाली) में भी नहीं छपतीं । खुदा गवाह है की मिश्रा कालोनी के दो-तीन लड़के जो सुनीता तिवारी के बारे में बिना छुट्टी किये सबसे जादा चटपटी और मनोरम ख़बरें लाते थे, उनको आज तक साहनी मार्किट में पेटीज और छोटी डीयू के पैसे नहीं देने पड़े ।
सुनीता तिवारी की निगरानी और जासूसी ही इन लड़कों का "राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना" था । ये इत्ते चौकस और तेज दिमागी लड़के थे की किसी भी हरकत को इस नजर से देखते थे की इससे सुनीता तिवारी का क्या नाता हो सकता है ।
वो फ़ोन में पांच मिनट से जादा बतिया ले तो इनके कान खड़े हो जाएँ, वो मेडिकल स्टोर के इर्द गिर्द नजर आजाये तो इनके तन बदन में मीठा सा नाश दौड़ जाये ।
अपने लल्लन मिश्रा और सुनीता तिवारी की सेटिंग कन्फर्म हो जाने के बाद से पूरे कानपुर में सुनीता के चाल-चलन की अफवाहों में रिकॉर्ड तोड़ उछाल आया था ।
बेचारे लल्लन को रातों को नींद आना बंद हो गई थी, नयी अफवाहों के मुताबिक लल्लन सुनीता के अकेले प्रेम पुजारी नहीं थे । सुनीता ने क्लासिक मेंथॉल पीना चालू कर दिया था, और उसका अंग्रेजी दवाखाना में आना जाना भी बढ़ गया था,
वो ब्लैक पटियाला सूट में रोहित दुबे के साथ लाल पैलेस टाकीज में देखि गई थी ।
वो फ़ोन में पांच मिनट से जादा बतिया ले तो इनके कान खड़े हो जाएँ, वो मेडिकल स्टोर के इर्द गिर्द नजर आजाये तो इनके तन बदन में मीठा सा नाश दौड़ जाये ।
अपने लल्लन मिश्रा और सुनीता तिवारी की सेटिंग कन्फर्म हो जाने के बाद से पूरे कानपुर में सुनीता के चाल-चलन की अफवाहों में रिकॉर्ड तोड़ उछाल आया था ।
बेचारे लल्लन को रातों को नींद आना बंद हो गई थी, नयी अफवाहों के मुताबिक लल्लन सुनीता के अकेले प्रेम पुजारी नहीं थे । सुनीता ने क्लासिक मेंथॉल पीना चालू कर दिया था, और उसका अंग्रेजी दवाखाना में आना जाना भी बढ़ गया था,
वो ब्लैक पटियाला सूट में रोहित दुबे के साथ लाल पैलेस टाकीज में देखि गई थी ।
लल्लन मिश्रा ने तय कर लिया था की वो अब सुनीता तिवारी से सब रिश्ता-नाता तोड़ लेंगे । और आजकल ऐसे गुमसुम रहने लगे थे की मानो केस्को वालो ने उन्हें खम्भे में कटिया फांसते देख लिया हो ।
"सुनो हम तुम्हाये साथ अब एक और दिन भी नहीं रह पाएंगे, हमने तय कर लिया है । माना की तुम शुक्लागंज की भाग्यश्री हो लेकिन हम सलमान नहीं हैं और न ही हमको आपनी जिंदगी "मैंने प्यार क्यों किया" बनानी है । हम सीधे साधे आदमी हैं । जादा से जादा फट्टू ही मान लो ।"
"तुम इन लोफडों के चक्कर में हमको ठुकरा रहे हो" कहते हुए सुनीता की आँखों में सागर भर आया ।
"देखो हम छोटे आदमी हैं, हमाई जिंदगी में सबसे बड़ी ख़ुशी ये होगी की हम या तो कायदे के वकील बन जाएँ या फिर पिछले दो साल से हिन्दुस्तान के दफ्तर में लटका अपना इन्क्रीमेंट करवा लें। अब या तो हम ये कर लें या फिर तुम्हाये आशिकों से निपटते फिरें । चरस बो दी है सालों ने हमाई जिंदगी में"
"तो फिर ठीक है, तुमसे अगर सलमान नहीं बना जा रहा तो हमको ही ऐश्वर्या बनना पड़ेगा"
"ऐश्वर्या बनना पड़ेगा मतलब"??
"जा रहे हैं रोहित दुबे के साथ लाल पैलेस टाकीज"
सुनीता ने अपना ट्रम्प दाल दिया था ।
सुनीता ने अपना ट्रम्प दाल दिया था ।
वो गुस्से में वहां से उठ के चली गई। उसे पता था की हमाये कानपुर के लड़के ये तो बर्दास्त कर लेते हैं की उनकी माशूका अब उनकी नहीं रही। लेकिन इस ख़याल से उनको भगंदर हो जाता है की उनकी माशुका कल किसी और की हो जायेगी । लल्लन के पिछवाडा सुलग गया। रोज रात रोहित दुबे लल्लन के सपनो में प्रकट होने लगा । सपनों में सुनीता तिवारी काली पल्सर पे उसके पीछे बैठ के लाल पैलेस टाकीज जाती थी । फ़िल्म शुरू होने से पहले जो उसके बालों का जूड़ा होता था वो फ़िल्म खत्म होने के बाद खुला और उलझा हुआ होता था ।
अगले दिन लल्लन महाराज उठे, सुनीता को अपनी सुपर स्प्लेन्डेर की बेक सीट पे बैठायीन और सीधे साहनी मार्किट के कंफेक्शनरी स्टोर पे रुके । सुनीता की जासूसी में तैनात चरों लड़के और रोहित दुबे वहीँ हाँथ में पेटीज और छोटी डिउ लिए मिल गए ।
जितना बन पड़ा लल्लन ने पाँचों को खूब पेला (कानपुर में इसको हौकना और सूतना भी कहते हैं) लल्लन को पांचो के चेहरे पे आशिकी का भूत नजर आरहा था । और जबतक उनका ये भूत उतारके उनके नाक से गंगा-जमुना नहीं बहा लिहिन तबतक नहीं रुके ।
जितना बन पड़ा लल्लन ने पाँचों को खूब पेला (कानपुर में इसको हौकना और सूतना भी कहते हैं) लल्लन को पांचो के चेहरे पे आशिकी का भूत नजर आरहा था । और जबतक उनका ये भूत उतारके उनके नाक से गंगा-जमुना नहीं बहा लिहिन तबतक नहीं रुके ।
"आइन्दा हमसे जादा औरंगजेब न बनना । नहीं पापा कसम आंतें बहार निकाल लेंगे तुम्हायी, आई बात समझ में" लल्लन ने जोर से दहाड़ मारी ।
अब वापस पलट के सुनीता तिवारी को देखा, वो मुस्कुरा रही थी, और आज वो खुलके कह सकती थी की हाँ.... मय ही हूँ शुक्लागंज की भाग्यश्री !! क्योंकि मुझे मेरा सलमान मिल गया है......
खैर इस काण्ड के बाद लल्लन सीधा ससुराल (थाने) पहुच गए थे । और सुनीता लगातार दो दिन तक तीन मंजिल वाला खाने का डब्बा लिए अपने सलमान के लिए ब्लैक पटियाला सूट पहिन के पहुँचती थी।
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