" भाई जी आर्केस्ट्रा हैं का .?

“ भाई जी आर्केस्टा हैं का ..? ================ स्थान : शास्त्रीनगर काली मठिया चौराहे पर बना “ राम मेडिकल स्टोर " समय : शाम का 03 बज के 50 मिनट हुआ था . आजकल बमबम महराज की बैठक यहीं लग रही रहय . मेडिकल स्टोर मालिक रामबालक बमबम के चेला रहे . रामबालक की इंग्लिश शुरू से कमजोर रही इसलिए अंग्रेजी दवा की दुकान खोल लिए थे . रामबालक और बमबम की मित्रता काफ़ी पुरानी रही . कानपुर के दवाई के दुकानदार की नॉलेज डाक्टर से तीन सौ चालीस छटांक ज्यादा होती है इसलिए आज कल कानपुर के आधे मरीज तब तक मेडिकल स्टोर वालों से इलाज करवाते हैं जब तक उनकी बीमारी ग़लत दवा खा-खा के डॉक्टर से मरवाने की पोजीशन में न आ जाए. “ दुनियां गयी भौजी के भाड़ में " , लेयो तुम साहब वाले का समोसा खाओ बमबम कहते हुए रामबालक दुई पेल के गर्म समोसा बमबम के सामने धर देहन . बमबम समोसा को दोना में फोड़ के उसके उपर हल्की पीली चटनी को बूंद बूंद गिराने ही जा रहे थे की मेडिकल स्टोर के काउंटर से महिला ग्राहक की आवाज आई , " ऐ भैया ! तनी टट्टी के कौनो दवाई दे दो . आज सबेरे से बीच वाली बिटिया को पेचिस होय रही...