भौकाली कानपुर (कृष्णा टावर कांड)

भौकाली कानपूर (कृष्णा टावर कांड)
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17 अगस्त 2015,
सन 1992 में आज का दिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया था, आज का ही दिन था जब हमाये लल्लन मिश्रा इस दुनिया को प्राप्त हुए थे । और कानपूर शहर में पैदा होकर कानपूर पर ख़ास उपकार किये थे ।
तो बस आज के ही दिन को उत्पाती बनाने के लिए कान चैम्बर्स के नीचे वाले शेरू चाय वाले की दूकान में सारा नशेबाजी का सामान शाम को 5 बजे ही पहुंच गया रहा, और उस सामान की खुशबु से रज्जन पांडे और भोला यादव भी 6 बजे तक खींचे चले आये और कृष्णा टावर के नीचे वाले चाउमीन के ठेले पे फ्राइड राईस (प्याज जादा) ठूसना चालू किये थे, आखिर पैसा तो लल्लन के खाते में ही जाने थे ।
खैर ठीक साढ़े छ बजे लल्लन अपनी सेकंड हैण्ड सुपर सपलंडर से बमके,
दोपहर को हलकी बारिश हुई थी तो मौसम हालात के हिसाब से और भी रंगीन और अनुकूल रहा।
कृष्णा टावर के नीचे वाले नीम के पेड़ के तरे मोटर साइकिल स्टैंड की पूरी कोर कमेटी 36° (माधुरी) का रसपान किये हुए थी और अपने मधुरतम लहराती ध्वनियों से पूरे ग्रीन पार्क चौराहे को मंत्रमुग्ध किये हुए थी ।
वहीँ कान चैम्बर्स के अंदर गार्ड वाले 4 बाई 4 के केबिन में उन मोटर साईकिल स्टैंड कोर कमेटी के करता-धर्ता यानी की मालिकाना मठाधीश "राजू लंगड़ा" और "मट्टू यादव" भी अपनी दुइ नोम्बर की उत्पाती कमाई से ब्लेंडर की बोतल को गले के नीचे उतारकर ब्लेंड कर रहे थे और साथ में उनके चार चेले चपाटे भी उनकी हर जायज - नाजायज बकैती में हाँ में हाँ मिलाये रहें और चकना पेले माँ जूट रहें ।
अब सब जुगाड़ सामान बैठाए के बाद पूर्णतः शेरू की दूकान बंद कराइ गई और उसपे पूर्ण रूप से कब्ज़ा कर मंडली विराजमान हो गई ।
सब सामान ऐसे सजा था की जन्मदिन में केक का सामान क्या सजता होगा....
लल्लन मिश्र ने अपना पहला पैग गटक ही था की एक अश्लील ध्वनि उनके कानन मा पड़ी, पीछे मुद के देखीन तो एक पतला दुबला पतली सी मूछों वाला सफ़ेद पोश हौंडा स्टेनर सवार पहलवान स्टैंड वाले लौंडो से पिला पड़ा था,
और मेटर खली इत्ता सा रहा की स्टैंड वाले लौंडे ने उससे गाडी कड़ी करने के 10 रुपिये मांग लिया रहा, लेकिन वाहिका रूपया दे मा समस्या रही कहे की वाहिका कहिना रहा की "चाचा विधायक हैं हमाये" और वो भी समाजवादी पार्टी के और नाम है........(नहीं बताएंगे । बस एक पान सिंह तोमर वाले एक्टर का भी वही नाम है समझ लो)
तो हैम कहे दें रूपया ।
अब चूँकि स्टैंड वाले लौंडो को "माधुरी" पूरी तरह अपने बश में कर चुकी रही, सो विधायक चाचा के भतीजे के कान के नीचे एक ठो कंटाप बहुत काएदे से छप गया, हल्ला मचा, भीड़ लगी, स्टैंड के मठाधीश मालिक भी अपनी ब्लेंडर को पत्तेचाटों के भरोसे छोड़ के पहुंचे ।
रज्जन पांडे भी दूसरा पैग हाँथ में लिए मूंगदाल चबाते हुए पहुंचे ।
पर लल्लन को या सब से कौनो मतलब न रहा, भोला यादव को "हटाओ बे" बोलकर मुह मा गोल्ड फ्लेक फसाइंन और पैग बनाने का इशारा करिन ।
खैर उधर बीच बचाओ होए के बाद वो विधायक चाचा का भतीजा दस रूपया दे दिहिस लेकिन "रुक #*$#डी के अभी बताते हैं" बोल के कान मा फोन लगा के स्टेनर में टिक के परेड की तरफ निकल गया ।
अब फिर से सब नार्मल हुआ सब अपनी अपनी दुनिया में वापस लग गए, और लल्लन का पिरोग्राम भी अपने गंतव्य की और प्रस्थान कर गया...........
पूरे एक घंटे बाद बोतल की एक एक बूँद निचोड़ने के बाद अब लल्लन एंड कंपनी सीधा चौराहे के उस तरफ परमट रोड पे ठेके के बगल वाली "गोविन्द कंफेक्शनरी" पे ढोकले खाने पहुंची, पव्वा भर ढोकला लेने के बाद जहाँ लल्लन गोविन्द से बकैती और पुराना हिसाब क्लीयर करे मा जूटे रहें वहीँ भोला और रज्जन का सारा ध्यान "आज ढोकले सूखे हैं" में लगा रहा ।
गोविन्द के ढोकला पेलने के बाद खाते में लिख लेना बोल के अब मंडली सामने किसन "विश्वकर्मा पंचर वाले" के यहाँ उसकी खटारा हीरो हौंडा SS100 की सीट पे सवार होकर अपने अपने बहुमूल्य विचारों का आदान प्रदान चालू हो गया (इधर किसन मन में गरिया रहा है )
नशे की बहुत गहरी हो गई थी और लल्लन अपनी गंगापरिन के वियोग में डूबने ही वाले थे की तभी देशी 312 की आवाज ने इनका ध्यान भंग कर दिया,
देखिन तो कृष्णा टावर के नीचे भगदड़ मची रही, वही विधायक चाचा का भतीजा अपने कंटाप का बदला ले खातिर हथियारन के साथ 60-70 लौंडे लिए पहुँच चूका था और एक ठो हवाई फायर झोंक चूका रहा,
अब फायर और लौंडे देख के स्टैंड के "माधुरी प्रेमी" अपने मठाधीश मालिक "राजू लंगड़ा" और "मट्टू यादव" को छोड़ के सीधा खिसक लिहिन,
अब "राजू" और "मट्टू" बिचारे अपनी "ब्लेंडर" समेत फंस गए उन 60-70 भतीजों के बीच,
लोहे की रॉड और बेल्टन से दुइनो की ठुकाई-बजाई चालू हुई गई रही,
लेकिन पता नहीं कहे ये अनियंत्रित और अनगिनत ठुकाई हमाए लल्लन को बर्दाश्त नहीं हुई और पहुँच गए हाँथ में सिगरेट लिए भोला और रज्जन का लई के,
लेकिन कट्टा, डंडा और लौंडो की भीड़ देख के रज्जन और भोला लल्लन को वैसे ही छोड़ के निकल लिहिन जैसे अभी थोड़ी देर पाहिले घुट्टी निचोड़े के बाद खाली बोतल छोड़ के आये थे ।
अब गुरु लल्लन नशे में "यारों मुझे माफ़ करो, मय नशे में हूँ" बड़बड़ाते हुए पिल पड़े उन लौंडो से, और एक लौंडे के हाँथ से बेल्ट छुड़ा के लगे तांडव मचने,
तभी VIP रोड से हमाए नव निर्वाचित संसद जी (मोदी सरकार) वाले, जिनके नाम का अर्थ "श्री कृष्ण" भी है, निकले, और मट्टू यादव लात जूता खाते भए उनकी गाडी के सामने आगये, और दया की भीख मांगने लगे,
लेकिन संसद जी की गाडी किसी घायल पिल्लै सा उन्हें बचाते हुए बगल से निकल गई।
इधर लल्लन का तांडव चालू रहा 40-45 लौंडे मिलके भी लल्लन को न संभाल पा रहे थे,
लेकिन अचानक उनके हाँथ की बेल्ट टूटते ही उनका ये तांडव बंद हो गया, और लल्लन की फट के फ्लावर हो गई, और अब उन्हें समझ आगया की गुरु नशा भी उतर गया है, और अब सुताई जोरदार होगी।
और लल्लन की ये सुताई वाली शंका सच होने ही वाली थी की तभी हूं हूँ हूँ की मधुर ध्वनि के साथ नीली लाल डिस्को लाइट चमकाती हुई 100 नॉम्बर आती हुई दिखाई दी,
अब मामा लोगन का देख के विधायक चाचा के भतीजो का जोश ठंडा हो गया और अपनी अपनी धीरे से दबा के हुआँ से भागे.....
लेकिन भागते भागते भी लल्लन एक कांड कर दिहिन और एक लौंडे के सर पे गुम्मा मार के उसका गैरकानूनी 315 छीन लिहिन, और गुम्मा पड़े के बाद जब वो लौंडा सड़क पे बिछ गया तो पता चला अबे ये तो "राजू लंगड़ा" है ।
चुपचाप कट्टा पीछे खोसिन और धीरे से साइड में हो लिए,
पुलिस आई तो पूरे चौराहे में अद्धे-गुम्मे लाठी डंडे के साथ साथ "मट्टू यादव" और "राजू लंगड़ा" एक और निर्दोष के साथ बिछे पड़े रहें।
पुलिस उनका सरकारी गाड़ी में डालकर सरकारी अस्पताल पहुंचाइस । और पूंछतांछ का कार्यक्रम करके निकल गई।
इधर लल्लन अपनी सुपर सपलंडर में किक मरीन और कट्टा मिलने की ख़ुशी में "मुझको पहचान लो मय हूँ डॉन" गुनगुनाते हुए निकल गए ।
अगले दिन शाम को वाही विधायक चाचा अपनी काली फॉर्चुनेर गाडी से एक ठो गार्ड के साथ पधारे थे अपने सभ्य और शांतिप्रिय भतीजों और "राजू-मट्टू" का कम्प्रोमाइज कराने ।
और "राजू लंगड़ा" आज भी उसे ढूंढ रहा है जिसने गुम्मा मार के कट्टा झेला था ।
वैसे वो 315 वाला लल्लन ने 4500 रूपया में बेंच दिया था, और उसकी इस बार "कला कुत्ता" (black dog) आई थी।।
समाप्त !!

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