जिंदगी
जिंदगी
बात उन दिनो की है जब हम, लल्लन मिश्रा और पप्पू पांणे बहुत तगडे वाले मित्र रहेन ।
हम डि ए वी इंटर कालेज मा छठी मा पढत रहेन और कौनो भी कांड होय तो हमाय तीनो का नाम सबसे पहिले लिया जात रहा ।
हमाई दोस्ती खाली स्कूल तक ही सीमित नही रही बल्की स्कूल के बाहर भी लफंडरी मे हमारा कोई तोड नही रहा ।
कभी शुक्ला के लौंडे की साइकिल की हवा निकालना, तो कभी चौरसिया की गुमटी मे लगे पोस्टर उखाड के भाग जाना, ......
स्कूल मे मिलने वाली खेल सामाग्री का दुरुपयेग तो हम तिनोन से बेहतर कौनो माई का लाल करेन नही सकत रहा । और यही चक्कर मा बहुत बार तीनो की सामूहिक सुताई भी भई ।
हम डि ए वी इंटर कालेज मा छठी मा पढत रहेन और कौनो भी कांड होय तो हमाय तीनो का नाम सबसे पहिले लिया जात रहा ।
हमाई दोस्ती खाली स्कूल तक ही सीमित नही रही बल्की स्कूल के बाहर भी लफंडरी मे हमारा कोई तोड नही रहा ।
कभी शुक्ला के लौंडे की साइकिल की हवा निकालना, तो कभी चौरसिया की गुमटी मे लगे पोस्टर उखाड के भाग जाना, ......
स्कूल मे मिलने वाली खेल सामाग्री का दुरुपयेग तो हम तिनोन से बेहतर कौनो माई का लाल करेन नही सकत रहा । और यही चक्कर मा बहुत बार तीनो की सामूहिक सुताई भी भई ।
सुबह सुबह नास्ते मा बिरेड मक्खन और दयाराम की पूरियां खा के मौज आ जात रही,
दिनभर घर पे पडे पडे मारिओ और कान्ट्रा गेम खेलना हमाई आदत मा शुमार रहा,
फिर अम्मा चाहे जितना सुना ले ।
दिनभर घर पे पडे पडे मारिओ और कान्ट्रा गेम खेलना हमाई आदत मा शुमार रहा,
फिर अम्मा चाहे जितना सुना ले ।
शाम होते ही लटाई और पतंग बाहर आ जाती थी, और उर्सला के लौंडो की जबतक १०-१२ पेज ना काट लें तबतक हमाई रात नही होत रही ।
लल्लन और हम तो पतंग के चक्कर मे अपने अपने बाप से हर तीसरे दिन लतियाये जाते थे, लकिने पांणे सार बच चात रहा, काहे की ओका बाप पुरान पतंगबाज रहा ।
लल्लन और हम तो पतंग के चक्कर मे अपने अपने बाप से हर तीसरे दिन लतियाये जाते थे, लकिने पांणे सार बच चात रहा, काहे की ओका बाप पुरान पतंगबाज रहा ।
रात मे खाना पिना होय के बाद हम तीनो मोहल्ले की छत(कई घरों की छत आपस मे जुडी रही) पर बैठ के लल्लन और उसकी गर्लफ्रेंड की फोन पर होने वाली बकवास बातें सुनते, और बेमतलब घटिया से घटिया कमेंट करते .......
गर्मी के टाईम हम तीनो अधिकतर छत मे साथ ही सोते रहेन,
और सचिन तेंदुलकर बनने से लेकर बिजनेस मा अनिल अम्बानी को कडी टक्कर देने तक के सपने संजोते रहेन,
हम तीनो के सपने मे एक चीज कामन रही.......
एक SUV गाडी, हम तीन दोस्त, एक बियर की पेटी और एक लांग रोड ट्रिप........
और सचिन तेंदुलकर बनने से लेकर बिजनेस मा अनिल अम्बानी को कडी टक्कर देने तक के सपने संजोते रहेन,
हम तीनो के सपने मे एक चीज कामन रही.......
एक SUV गाडी, हम तीन दोस्त, एक बियर की पेटी और एक लांग रोड ट्रिप........
अब SUV तो है, पैसे भी हैं, और दोस्त भी......
बस कमी है तो बस समय की ।
पहले हम जिंदगी को जीते थे,
अब तो बस काट रहे हैं..............
बस कमी है तो बस समय की ।
पहले हम जिंदगी को जीते थे,
अब तो बस काट रहे हैं..............
बहुत सही
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