चल भाई
चल भाई चलते हैं, फिर से वही चलते हैं,
जहां हर घर के बरांडे पर बचपन
इकठ्ठा रहता था,
जहां घर में लगे नल से अर्थ का तार लगता था,
जहां पापा के चेतक पे दोनों भाई बेठ के हैंडल
घुमाते थे,
तू किक मारता था और मैं क्लच दबा देता था,
जहां स्कूल जाने के नाम पे तू घिसटता हुआ गेट तक
जाता था,
और मुझे बड़ा है समझदार है कहके स्कूटर के पीछे
बिठा दिया जाता था,
जहां कपड़े सिर्फ मेरे लिए नए आते थे और छोटे हुए
कपड़े तुझे मिलते थे,
जहाँ तू डर की वजह से माँ के साथ
ही सोता था,
और मेरा खटोला अलग से बिछता था,
जहां १ रुपये में दोनों भाई पूरी दूकान खरीद
लाते थे,
जहां १ बाल्टी पानी एक दूसरे पे उड़ेल के नहाते
थे,
जहां पतंगों के पेंच साम दाम दंड भेद से लड़ाते थे,
जहां मोहल्ले के मैच में दोनों भाई नाम कमा के
आते थे,
जहां तू और मैं गोविंदा के गाने गाते थे,
माँ की बनायी आखिरी छोटी रोटी लड़ के
खाते थे,
चल भाई चलते हैं, फिर से वही चलते हैं,
जहां अपने सारे रिश्ते नाते थे
जहां हर घर के बरांडे पर बचपन
इकठ्ठा रहता था,
जहां घर में लगे नल से अर्थ का तार लगता था,
जहां पापा के चेतक पे दोनों भाई बेठ के हैंडल
घुमाते थे,
तू किक मारता था और मैं क्लच दबा देता था,
जहां स्कूल जाने के नाम पे तू घिसटता हुआ गेट तक
जाता था,
और मुझे बड़ा है समझदार है कहके स्कूटर के पीछे
बिठा दिया जाता था,
जहां कपड़े सिर्फ मेरे लिए नए आते थे और छोटे हुए
कपड़े तुझे मिलते थे,
जहाँ तू डर की वजह से माँ के साथ
ही सोता था,
और मेरा खटोला अलग से बिछता था,
जहां १ रुपये में दोनों भाई पूरी दूकान खरीद
लाते थे,
जहां १ बाल्टी पानी एक दूसरे पे उड़ेल के नहाते
थे,
जहां पतंगों के पेंच साम दाम दंड भेद से लड़ाते थे,
जहां मोहल्ले के मैच में दोनों भाई नाम कमा के
आते थे,
जहां तू और मैं गोविंदा के गाने गाते थे,
माँ की बनायी आखिरी छोटी रोटी लड़ के
खाते थे,
चल भाई चलते हैं, फिर से वही चलते हैं,
जहां अपने सारे रिश्ते नाते थे
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