श्रीलाल शुक्ल ने हिंदी की क्लासिक किताब ‘राग दरबारी’ लिखी है. जिसमें मज़ेदार ‘वनलाइनर्स’ की भरमार है. जिन्हें मंचों से सुना के जाने कितने शोहदे शायर हो गए. जाने कितने बकैत तुर्रम खान हो गए. चौचक भाषा, बमचक चित्रण. 47 साल पहले लिखी गई थी, आज भी प्रासंगिक है. श्रीलाल शुक्ल यूपी में पीसीएस अफसर थे. बाद में प्रमोट होकर आईएएस हो गए. 25 किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘राग दरबारी’ की पॉपुलैरिटी अकाट्य है. अंग्रेजी समेत करीब 15 भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ. किताब नहीं पढ़ी हो तो दो छोटे अंश यहां ले आए हैं. हमारी रेकमेंडेशन है, पूरी किताब भी पढ़िएगा. ============================================= थाना शिवपालगंज में एक आदमी ने हाथ जोड़कर दारोग़ाजी से कहा, ‘‘आजकल होते-होते कई महीने बीत गए. अब हुज़ूर हमारा चालान करने में देर न करें.’’ मध्यकाल का कोई सिंहासन रहा होगा जो अब घिसकर आरामकुर्सी बन गया था. दारोग़ाजी उस पर बैठे भी थे, लेटे भी थे. यह निवेदन सुना तो सिर उठाकर बोले, ‘‘चालान भी हो जाएगा. जल्दी क्या है? कौन-सी आफ़त आ रही है?’’ वह आदमी आरामकुर्सी के पास पड़े हुए एक प्रागैतिहासिक मोढ़े पर बैठ गया ...
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